Category Archives: New Thoughts

New Thoughts

1  हालात ने तोड़ दिया हमें कच्चे धागे की तरह…
वरना हमारे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे..

2 अहमं क्रोध के बल दादागीरी कब तक,
जब तक शरीर में दम है तब तक ।
प्रैम की दादागीरी , जिन्दगी है जब तक ,
अरे नहीं नहीं आपका नाम चलेगा तब तक ।।

3  हे भव्य आत्मा…

आपको कुव्यसनों की कीमत दो
बार चुकानी पड़ती है –

एक बार जब आप उनके प्रभाव
में आते हैं तब..

और

दूसरी जब वह आपको प्रभावित
करती हैं तब…

4  गतिशीाल करो कदमो को, मंजिल पास नहीं हैं।
कालचक्र गतिमान, किसी का दास नहीं हैं
जीवन की हर श्वास को, सार्थक।    कर डालो तुम।
क्योंकि इन श्वासों पर, पल भर का भी विश्वास नहीं हैं।

5  प्रत्येक दिन एक “अपेक्षा” के साथ आरम्भ होता है और एक “अनुभव” के साथ समाप्त होता है ।

6 “आदमी में इस तरह विष भर गया है,
देखकर कर के विषधरों का वंश सारा डर गया है।, कल सुनोगे आदमी के काटने से ,साँप कोई मर गया है”

7  जलती आग बुझा न पाये वो नीर ही क्या…?
अपने लक्ष्य को भेद न पाए वह तीर ही क्या…?
संग्राम मे लाखों पर विजय पाने वाले भी गर अपने आप को जीत न पाए तो वीर ही क्या…?

8  कोई अक्षर ऐसा नहीं जिसमें मंत्र का बल ना हो,

कोई वनस्पति ऐसी नहीं जिसमें औषधि का गुण नहीं,

कोई मनुष्य ऐसा नहीं जिसमें कोई योग्यता नहीं,

वास्तव में इन सबका उचित मूल्यांकन करके सदुपयोग करने वाला ही दुर्लभ है।

9  जब भी दीपक मे तेल भरकर ज्योत  जलती है तो अंधकार क्षण भर में दुर हो जाता है,………………….

जीवन में   स्वाध्याय रुपी तेल भरकर सम्यक दर्शन की ज्योत जलती है तो मिथ्यात्व रूपी अंधकार जन्म जन्मातंर के  लिए भाग जाता है

10  जीवन हे उपहार प्रभु का,
इसको रोशन कीजिये !
पहले अपने अंतर्मन को,
शांति से भर लीजिये !!
मन ही जिन  है, मन ही शक्ति,
मन का ज्ञान जरूरी है !
तीन लोक की तीर्थ यात्रा,
मन के बिना अधूरी है !!
मन में ज्ञान का दीप जलाकर,
भीतर की आँखे खोलियें !
मन में प्रभु से प्रीत लगाकर,
ज्योति से भर लीजिये !!
सांसों के हर तार तार में,
प्रभु प्रेम रस घोलियें !
हर मूरत में प्रभु की सूरत,
प्रभु के दर्शन कीजिये
===========================
शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ देखो, शुभ सुनो
शुभ करो, इन्ही पाँच बातो को जीवन का
पंचामृत बना लिजीएँ1  हालात ने तोड़ दिया हमें कच्चे धागे की तरह…
वरना हमारे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे..

2 अहमं क्रोध के बल दादागीरी कब तक,
जब तक शरीर में दम है तब तक ।
प्रैम की दादागीरी , जिन्दगी है जब तक ,
अरे नहीं नहीं आपका नाम चलेगा तब तक ।।

3  हे भव्य आत्मा…

आपको कुव्यसनों की कीमत दो
बार चुकानी पड़ती है –

एक बार जब आप उनके प्रभाव
में आते हैं तब..

और

दूसरी जब वह आपको प्रभावित
करती हैं तब…

4  गतिशीाल करो कदमो को, मंजिल पास नहीं हैं।
कालचक्र गतिमान, किसी का दास नहीं हैं
जीवन की हर श्वास को, सार्थक।    कर डालो तुम।
क्योंकि इन श्वासों पर, पल भर का भी विश्वास नहीं हैं।

5  प्रत्येक दिन एक “अपेक्षा” के साथ आरम्भ होता है और एक “अनुभव” के साथ समाप्त होता है ।

6 “आदमी में इस तरह विष भर गया है,
देखकर कर के विषधरों का वंश सारा डर गया है।, कल सुनोगे आदमी के काटने से ,साँप कोई मर गया है”

7  जलती आग बुझा न पाये वो नीर ही क्या…?
अपने लक्ष्य को भेद न पाए वह तीर ही क्या…?
संग्राम मे लाखों पर विजय पाने वाले भी गर अपने आप को जीत न पाए तो वीर ही क्या…?

8  कोई अक्षर ऐसा नहीं जिसमें मंत्र का बल ना हो,

कोई वनस्पति ऐसी नहीं जिसमें औषधि का गुण नहीं,

कोई मनुष्य ऐसा नहीं जिसमें कोई योग्यता नहीं,

वास्तव में इन सबका उचित मूल्यांकन करके सदुपयोग करने वाला ही दुर्लभ है।

9  जब भी दीपक मे तेल भरकर ज्योत  जलती है तो अंधकार क्षण भर में दुर हो जाता है,………………….

जीवन में   स्वाध्याय रुपी तेल भरकर सम्यक दर्शन की ज्योत जलती है तो मिथ्यात्व रूपी अंधकार जन्म जन्मातंर के  लिए भाग जाता है

10  जीवन हे उपहार प्रभु का,
इसको रोशन कीजिये !
पहले अपने अंतर्मन को,
शांति से भर लीजिये !!
मन ही जिन  है, मन ही शक्ति,
मन का ज्ञान जरूरी है !
तीन लोक की तीर्थ यात्रा,
मन के बिना अधूरी है !!
मन में ज्ञान का दीप जलाकर,
भीतर की आँखे खोलियें !
मन में प्रभु से प्रीत लगाकर,
ज्योति से भर लीजिये !!
सांसों के हर तार तार में,
प्रभु प्रेम रस घोलियें !
हर मूरत में प्रभु की सूरत,
प्रभु के दर्शन कीजिये
===========================
शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ देखो, शुभ सुनो
शुभ करो, इन्ही पाँच बातो को जीवन का
पंचामृत बना लिजीएँ

New Thoughts 27

1 . कहते है –
शब्दों के दांत नहीं होते है
लेकिन शब्द जब काटते है
तो दर्द बहुत होता है और    कभी कभी
घाव इतने गहरे हो जाते है की
जीवन समाप्त  हो जाता है
परन्तु घाव नहीं भरते………….

इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों

‘शब्द’ ‘शब्द’ सब कोई कहे,
‘शब्द’ के हाथ न पांव;

एक ‘शब्द’ ‘औषधि” करे,
और एक ‘शब्द’ करे ‘सौ’ ‘घाव”…!

“जो ‘भाग्य’ में है वह भाग कर आएगा..,
जो नहीं है वह आकर भी भाग ‘जाएगा”..!

प्रभू’ को भी पसंद नहीं
‘सख्ती’ ‘बयान’ में,
इसी लिए ‘हड्डी’ नहीं दी, ‘जबान’ में…!

2. भगवान कहते हैं ,
हर बार संभाल लूँगा,
गिरो तुम चाहो जीतनी बार,
बस गुजारिस एक ही है
कभी मेरी नजरों से ना गिरना !!

3. जीना सरल हे, प्यार करना भी सरल हे,
हारना ओर जीतना भी सरल हे…

तो फिर ‘कठिन’ क्या हे.. ??
‘सरल’ बनना ही सबसे बडा ‘कठिन’ है..

4. लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता बस उसका जंग उसे नष्ट करता है,
इसी तरह आदमी को भी कोई और नहीं बल्कि उसकी सोच ही नष्ट कर सकती है…!!

1 . कहते है –
शब्दों के दांत नहीं होते है
लेकिन शब्द जब काटते है
तो दर्द बहुत होता है और    कभी कभी
घाव इतने गहरे हो जाते है की
जीवन समाप्त  हो जाता है
परन्तु घाव नहीं भरते………….

इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों

‘शब्द’ ‘शब्द’ सब कोई कहे,
‘शब्द’ के हाथ न पांव;

एक ‘शब्द’ ‘औषधि” करे,
और एक ‘शब्द’ करे ‘सौ’ ‘घाव”…!

“जो ‘भाग्य’ में है वह भाग कर आएगा..,
जो नहीं है वह आकर भी भाग ‘जाएगा”..!

प्रभू’ को भी पसंद नहीं
‘सख्ती’ ‘बयान’ में,
इसी लिए ‘हड्डी’ नहीं दी, ‘जबान’ में…!

2. भगवान कहते हैं ,
हर बार संभाल लूँगा,
गिरो तुम चाहो जीतनी बार,
बस गुजारिस एक ही है
कभी मेरी नजरों से ना गिरना !!

3. जीना सरल हे, प्यार करना भी सरल हे,
हारना ओर जीतना भी सरल हे…

तो फिर ‘कठिन’ क्या हे.. ??
‘सरल’ बनना ही सबसे बडा ‘कठिन’ है..

4. लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता बस उसका जंग उसे नष्ट करता है,
इसी तरह आदमी को भी कोई और नहीं बल्कि उसकी सोच ही नष्ट कर सकती है…!!

New Thoughts 25

हुकूमत बाजुओं के ज़ोर पर तो कोई भी कर ले,
जो सबके दिल पे छा जाए उसे इंसान कहते हैं…!!!

अगर हंसने मुस्कुराने के लिये आप ख़ुदा का शुक्र अदा नहीं करते.. तो आँखों मे आये आँसुओं के लिये उससे शिकायत का कोई हक़ नहीं है..!!
चलते रहने से ही सफलता मिलती हे
रुका हुआ तो पानी भी बेकार हो जाता
मुकाम वो चाहिए की जिस दिन भी हारु ,
उस दिन जीतने वाले से ज्यादा मेंरे चर्चे हो
तेरी नेकी का लिबास ही तेरा बदन ढकेगा ऐ
बंदे.. सुना है ऊपर वाले के घर, कपडो की दुकान
नहीं होती.!हुकूमत बाजुओं के ज़ोर पर तो कोई भी कर ले,
जो सबके दिल पे छा जाए उसे इंसान कहते हैं…!!!

अगर हंसने मुस्कुराने के लिये आप ख़ुदा का शुक्र अदा नहीं करते.. तो आँखों मे आये आँसुओं के लिये उससे शिकायत का कोई हक़ नहीं है..!!
चलते रहने से ही सफलता मिलती हे
रुका हुआ तो पानी भी बेकार हो जाता
मुकाम वो चाहिए की जिस दिन भी हारु ,
उस दिन जीतने वाले से ज्यादा मेंरे चर्चे हो
तेरी नेकी का लिबास ही तेरा बदन ढकेगा ऐ
बंदे.. सुना है ऊपर वाले के घर, कपडो की दुकान
नहीं होती.!