1 . कहते है –
शब्दों के दांत नहीं होते है
लेकिन शब्द जब काटते है
तो दर्द बहुत होता है और कभी कभी
घाव इतने गहरे हो जाते है की
जीवन समाप्त हो जाता है
परन्तु घाव नहीं भरते………….
इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों
‘शब्द’ ‘शब्द’ सब कोई कहे,
‘शब्द’ के हाथ न पांव;
एक ‘शब्द’ ‘औषधि” करे,
और एक ‘शब्द’ करे ‘सौ’ ‘घाव”…!
“जो ‘भाग्य’ में है वह भाग कर आएगा..,
जो नहीं है वह आकर भी भाग ‘जाएगा”..!
प्रभू’ को भी पसंद नहीं
‘सख्ती’ ‘बयान’ में,
इसी लिए ‘हड्डी’ नहीं दी, ‘जबान’ में…!
2. भगवान कहते हैं ,
हर बार संभाल लूँगा,
गिरो तुम चाहो जीतनी बार,
बस गुजारिस एक ही है
कभी मेरी नजरों से ना गिरना !!
3. जीना सरल हे, प्यार करना भी सरल हे,
हारना ओर जीतना भी सरल हे…
तो फिर ‘कठिन’ क्या हे.. ??
‘सरल’ बनना ही सबसे बडा ‘कठिन’ है..
4. लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता बस उसका जंग उसे नष्ट करता है,
इसी तरह आदमी को भी कोई और नहीं बल्कि उसकी सोच ही नष्ट कर सकती है…!!
1 . कहते है –
शब्दों के दांत नहीं होते है
लेकिन शब्द जब काटते है
तो दर्द बहुत होता है और कभी कभी
घाव इतने गहरे हो जाते है की
जीवन समाप्त हो जाता है
परन्तु घाव नहीं भरते………….
इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों
‘शब्द’ ‘शब्द’ सब कोई कहे,
‘शब्द’ के हाथ न पांव;
एक ‘शब्द’ ‘औषधि” करे,
और एक ‘शब्द’ करे ‘सौ’ ‘घाव”…!
“जो ‘भाग्य’ में है वह भाग कर आएगा..,
जो नहीं है वह आकर भी भाग ‘जाएगा”..!
प्रभू’ को भी पसंद नहीं
‘सख्ती’ ‘बयान’ में,
इसी लिए ‘हड्डी’ नहीं दी, ‘जबान’ में…!
2. भगवान कहते हैं ,
हर बार संभाल लूँगा,
गिरो तुम चाहो जीतनी बार,
बस गुजारिस एक ही है
कभी मेरी नजरों से ना गिरना !!
3. जीना सरल हे, प्यार करना भी सरल हे,
हारना ओर जीतना भी सरल हे…
तो फिर ‘कठिन’ क्या हे.. ??
‘सरल’ बनना ही सबसे बडा ‘कठिन’ है..
4. लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता बस उसका जंग उसे नष्ट करता है,
इसी तरह आदमी को भी कोई और नहीं बल्कि उसकी सोच ही नष्ट कर सकती है…!!